Are you fascinated by the stories and mythology of ancient India? Do you want to learn more about the epic tale of Ramayana and its relevance to modern-day life? Then you should check out Ramayan Aaj Ke Liye, the ultimate podcast on Indian mythology and culture. Hosted by Kavita Paudwal, this podcast offers a deep dive into the world of Ramayana and its characters, themes, and teachings.
…
continue reading
बाली को मार कर और सुग्रीव का राज्य अभिषेक होने के बाद प्रस्रवण पर्वत पर रहने वाले श्री राम अपने भाई लक्ष्मण से कहते हैं "जल की प्राप्ति कराने वाला वर्षा काल आगया है। पर्वत जैसे मेघो से आकाश मंडल भर गया है। जैसे, कोई तरुणी ९ महीनो के लिए अपने गर्भ में बालक धारण करती है, और फिर उसे जन्म देती है, वैसे, ९ महीनो के लिए आकाश से सूर्य की किरणों द्वारा समं…
…
continue reading
कपिराज बाली के अंतिम संस्कार के बाद, पवनपुत्र हनुमान ने सलाह दी कि, क्यूंकि श्री राम ने सुग्रीव को न्याय दिलाने में सहायता करी, इसलिए, सबसे पहले उन्हें और महाराज सुग्रीव को किष्किंधा में पदार्पण करना चाहिए। पर राम ने किष्किंधा में कदम रखने से क्यों मना कर दिया? उन्होंने सुग्रीव को सीता को ढूंढने का प्रयास कब शुरू करने को कहा? सुग्रीव और अंगद का राज…
…
continue reading
तारा, अंगद, सुग्रीव, किष्किंधा की प्रजा, सभी बाली की मृत्यु के कारण विलाप कर रहे थे। तब महारानी तारा की नजर श्रीराम पर पड़ी। वह राम से बोलीं - आपका कोई पार नहीं। आपने अपने इंद्रियों पर मात की है। आपकी कृपा सब पर बरसती है। तो मेरी आपसे प्रार्थना है कि आप मुझे भी मार दीजिए ताकि मैं अपने पति के साथ जा सकूं। जवाब में राम ने तारा से क्या कहा? और लक्ष्मण…
…
continue reading
कपिराज बाली के मृत्यु अब निकट थी। उनकी पत्नी तारा दुख और भावनाओं के सागर में डूबी, कुछ सोच नहीं पास रहीं थीं। तब हनुमान ने कैसे उन्हें सहानुभूति दी? इस दौरान बाली ने, किष्किंधा राज, तारा और अपने बेटे - अंगद को लेकर, सुग्रीव को क्या सलाह दी? और सारे वानरों को शोकाकुल देख, सुग्रीव ने अनपे किये पर पछतावा कैसे व्यक्त किया? आइए जानतें हैं, रामायण आज के …
…
continue reading
जब बाली की शक्ति के सामने सुग्रीव हारने लगे तब श्रीराम ने बाली पर पेड़ों के पीछे से छुपकर वार किया। इस बात पर घायल बाली ने राम पर आरोप लगाया कि धर्म के अनुसार राम का व्यवहार गलत था। वाली को राम से कोई बैर नहीं था फिर भी राम ने पीछे से उन पर वार किया और उन्हें अपने बचाव का मौका तक नहीं मिला। राम ने वाली के लगाए आरोप पर किस प्रकार प्रति उत्तर दिया? बा…
…
continue reading
बाली ने अपनी समझदार पत्नी तारा की सलाह को अनसुना कर दिया और सुग्रीव के साथ युद्ध करने के लिए वापस रणभूमि में उतर गए। उन्हें लगा कि, क्यूँकि राम धर्म का पालन करते हैं, वह किसी निर्दोष पर वार नहीं करेंगे। पर बाली इस बात का अनुमान नहीं लगा पाए कि पेड़ों के पीछे छिपे राम मौका देखते ही उनपर एक ज़हरीले साँप की तरह दिखनेवाला तीर छोड़ देंगे, जो बाली की छाती …
…
continue reading
राम और लक्ष्मण किष्किंधा की सीमा तक पहुंचकर वहीं वन में छुप गए। इतने में सुग्रीव ने अपने भाई, बाली को द्वन्द्व युद्ध के लिए ललकारा। कुछ ही देर में उन दोनों के बीच भयंकर लड़ाई शुरू हुई। आश्चर्य की बात यह थी कि वह दोनों कपि बिल्कुल एक दूसरे की तरह दिख रहे थे। श्री राम समझ ही नहीं पाए कि बाली कौन है और सुग्रीव कौन। जब सुग्रीव अपनी जान बचाकर भागे, तब रा…
…
continue reading
जब सुग्रीव ने राम और लक्ष्मण को बाली की कहानी सुनाई, तब उन्हें सूर्यपुत्र कपिराज की शक्ति और कमज़ोरी दोनों का प्रमाण मिला। कहानी के अंत में सुग्रीव ने राम को रिश्यामुख पर्वत पर दुंदुभि राक्षस की सूखई हुई हड्डियों का ढेर भी दिखाया। तब राम और लक्ष्मण दोनों को कहानी का तात्पर्य समझ में आया। वास्तव में सुग्रीव राम की शक्ति का प्रमाण देखना चाहते थे। जवाब…
…
continue reading
अब तक हमने सुना कि कैसे बाली ने सुग्रीव पर आरोप लगाकर उन्हें राज्य से बाहर निकाला था। इतना ही नहीं सुग्रीव की पत्नी, रोमा को बाली ने राज्य में कैद करके रखा था। सुग्रीव को श्री राम की मित्रता पर विश्वास तो था, लेकिन वह उन्हें बाली के शौर्य के बारे में भी बताना चाहते थे, क्यूंकि युद्ध में आक्रमण करने से पहले, शत्रु की शक्ति का प्रमाण लिया जाता है। तो…
…
continue reading
सीता के आभूषण देखकर राम विचलित हो गए। पर सुग्रीव के मीठे शब्दों से, उनके सांत्वन से, वह संभल भी गए। फिर राम ने सुग्रीव से सीता और रावण को ढूंढने की सलाह मांगी। साथ ही उन्होंने सुग्रीव को दिए हुए वचन को पूरा करने का आश्वासन दिया। उसके बाद सुग्रीव की समस्या समझने के लिए राम ने उन्हें अपनी पूरी कहानी विस्तार से सुनाने को कहा। जवाब में सुग्रीव ने अपने …
…
continue reading
ऋष्यमुख पर्वत पर पहुंचकर हनुमान ने कपिराज सुग्रीव के सामने राम और लक्ष्मण को अपने कंधे से उतारा और सारा वृतांत सुग्रीव को सुनाया। सुग्रीव यह सुनकर बहुत खुश हुए कि श्री राम उनसे मित्रता करना चाहते हैं और कहा की उनके लिए ये अभिमान की बात होगी। ये जानकर, श्री राम ने उन्हें गले से लगाया। फिर दोनों ने अग्नि के समक्ष मित्रता निभाने की शपथ ली। इसके बाद सु…
…
continue reading
सुग्रीव की आज्ञा अनुसार, ब्राह्मण का भेस लेकर, हनुमान, राम और लक्ष्मण की जानकारी लेने के लिए पाम्पा सरोवर पहुँचे। हनुमान ने उन दोनों को विनम्रता से वंदन किया। फिर उन्होंने इन दीप्तिमान अजानुबाहू मनुष्यों से उनका परिचय कैसे माँगा? राम ने हनुमान के व्यव्हार से उनके चरित्र के बारे में क्या निष्कर्ष निकला? लक्ष्मण ने सुग्रीव को लेकर अपने इरादों के बारे…
…
continue reading
कर्नाटक के हम्पी क्षेत्र को आज भी किष्किन्धा के नाम से जाना जाता है। यह एक समय में सुग्रीव की राजधानी हुआ करती थी, जहाँ राम और लक्ष्मण, सीता को ढूंढ़ते-ढूंढ़ते पहुँचे। वसंत ऋतु में पाम्पा सरोवर की सुंदरता देख, सीता के विरह में राम और भी दुखी हुए। राम को भावुक देख, लक्षमण उन्हें अपने मन पर नियंत्रण रखने की सलाह देने लगे। पर दोनों भाइयों की बातचीत के …
…
continue reading
कबंध के बताये रास्ते से होते हुए राम और लक्ष्मण पाम्पा सरोवर के पास ऋष्यमूक पर्वत पर पहुँचे। वहाँ उन्हें भक्त और विदुषी शबरी मिलीं, जो जंगल में रहने वाली जनजाती से थीं। लेकिन उनके चहरे पर उनकी साधना और योग का तेज था। राम और लक्ष्मण से मिलने पर शबरी ने उनका स्वागत कैसे किया? उन्होंने दोनों भाइयों को मातंग वन के बारे में क्या बताया? और राम ने शबरी का…
…
continue reading
राम और लक्ष्मण ने कबंध को मारने के बाद उसका शरीर जला दिया। चिता से कबंध का सुन्दर दिव्य रूप निकल आया, जिसे स्वर्ग ले जाने के लिए दैवी विमान आ खड़ा हुआ। पर जाने से पहले, उसने राम को सीता तक पहुँचने की तरक़ीब बताई। कबंध ने दोनों भाइयों को सुग्रीव का परिचय कैसे दिया? उसने क्या सोचकर कहा की सीता को ढूंढने में सुग्रीव सक्षम रहेंगे? फिर कबंध ने राम और लक्ष…
…
continue reading
सीता को बचाने की कोशिश करते-करते जटायु ने अपने प्राण गवा दिए। गृद्धराज की मृत्यु से राम को बहुत दुख हुआ और उन्होंने जटायु का अंतिम संस्कार, विधि-अनुसार, अपने हाथों से किया। इसके पश्चात वह लक्ष्मण के साथ सीता की खोज में दक्षिण दिशा में निकल गए। कुछ समय बाद वह क्रौंच जंगल पहुंचे। वहाँ अयोमुखी नामक राक्षसी से मिलने पर राम और लक्षमण ने क्या किया? और फि…
…
continue reading
जब राम को सीता के संघर्ष के संकेत मिले, तब उनका क्रोध उनके आपे से बाहर हो गया। वह बदले की आग में सारे लोकों को नष्ट करने निकले। ऐसे में लक्ष्मण ही उन्हें रोक सकते थे। लक्ष्मण ने राम का क्रोध शांत करने के लिए ऐसी क्या बात कही, जो आज भी मसाल के तौर पर इस्तेमाल की जाती है। जब दोनों भाइयों ने सीता की खोज फिर शुरू करी तब उन्हें घायल जटायु मिले। राम ने क…
…
continue reading
सीता को आश्रम में ना पाकर भग्वान-रूपी राम मनुष्य के भाँती अधीर होने लगे। आख़िरकार लक्ष्मण के अलावा उन्होंने सीता से ही अपना सारा दुःख बांटा था। राम को लाचार देख, लक्षमण ने उनका सांत्वन कैसे किया? शांत होने पर, जब राम सीता को खोजने के लिए आगे बढ़े, तब किस प्राणी के समूह ने उनकी मद्दत करी? सुझाव अनुसार जब दोनों भाई दक्षिण दिशा में चलने लगे, तो उन्हें …
…
continue reading
फिछले episode में हमने सुना कि कैसे देवों ने लंका-बधित सीता को खीर खिलाकर यह सुनिश्चित किया कि वह जीवित रहें। वहाँ दूसरी तरफ़ राम मारीच को मारकर आश्रम की ओर भागे। रस्ते में आसपास के जानवरों की बेचैनी देख वह समझ गए थे की सीता ख़तरे में हैं। कुछ ही क्षणों में उन्हें लक्षमण मिले, जो सीता के कहने पर राम को ढूंढने निकले थे। एक दूसरे को देखते ही वह दोनों स…
…
continue reading
सीता रावण का इरादा अब अछि तरह से समझ गयीं थीं। क्यूंकि रावण एक परपुरुष था और उन दिनों विवाहित स्त्रियाँ उनसे पर्दा करतीं थीं, इसलिए सीता ने अपने और रावण के बीच, सीमा के तौर पर, एक घांस की तीली पकड़ली। रावण ने उस चिन्ह का सम्मान किया, पर साथ ही उससे विवाह करने के लिए उसने सीता को 12 महीनों का वक़्त भी दिया। कड़ी निगरानी में सीता को लंका में रखा गया, जि…
…
continue reading
विशाल और वृद्ध जटायु को मारने के बाद अब रावण के रास्ते में कोई बाधा नहीं थी। लेकिन सीता अपने आपको छुड़ाने का संघर्ष करती रहीं। कुछ दूरी पर सीता ने पर्वत पर बैठे वानर देखे। उन्होंने उन वानरों बीच अपनी ओढ़नी में ज़ेवर उतारकर फेंक दिए, ये सोचते हुए कि शायद ये वानर सीता को ढूंढने में राम की मद्दद कर पाएँ। पर, किसी कारण, इस बात पर रावण ने ध्यान नहीं दिया। …
…
continue reading
जब सीता ने रावण के साथ लंका जाने से मना कर दिया तब रावण ने सीता के बाल पकड़े और एक हाथ से उन्हें उठाकर उग्रता से अपने सुनहरे रथ में बिठाया। पलक झपकते ही वह रथ आकाश में उड़ने लगा और लंका की और बढ़ने लगा। सीता चिल्लाने लगीं, राम और लक्ष्मण को पुकारने लगीं। उनकी दुहाई सुनकर जटायु चौक्कन्ने हो गए और सीता को रावण के चंगुल से बचाने का प्रयास करने लगे। पक्षि…
…
continue reading
रावण भिक्षुक के भेस में राम-सीता के आश्रम आया। सीता ने लक्ष्मण की चेतावनी के बावजूद, रावण को ब्राह्मण समझ कर, शापित होने के डर से, उसका आदर सत्कार किया। उसे भोजन खिलाया। फिर सीता ने उसे अपने बारे में बताया। साथ ही उन्होंने रावण का परिचय माँगा। तब रावण ने अपना असली रूप दिखाया और बोला की वह तीनों लोको का राजा है और सीता को अपनी पत्नी बनाना चाहता है। …
…
continue reading
राम के साथ खेलते खेलते, वह सोने का हिरन उन्हें आश्रम से काफ़ी दूर ले गया। कुछ समय बाद वह हिरन झाड़ियों में जाकर फँस गया। उस ही क्षण, एक ही तीर से राम ने बारहसिंगा रुपी मायावी मारीच को घायल कर दिया। मरते मरते मारीच ने ऐसा क्या किया जिसकी वजह से सीता और लक्षमण को लगा की राम मुसीबत में हैं? सीता ने लक्ष्मण को राम के पास जाकर उनकी मद्दत करने के लिए कैसे …
…
continue reading
मारीच की बातों का रावण पर कोई असर नहीं हुआ। उल्टा रावण ने ही मारीच को डाँटते धमकाते कहा कि अगर वह रावण की मद्दत नहीं करेगा तो मारा जाएगा। यह सुनकर उसने अपने भाग्य को स्वीकारा और रावण के साथ दण्डकारण्य पहुँचा। मारीच ने, सोने के हिरण का रूप लेकर, सीता को कैसे आकर्षित किया? लक्ष्मण को उसकी असली पहचान कब और कैसे हुई? सच्चाई जाने के बाद भी राम ने हिरण र…
…
continue reading
जब सीता का अपहरण करने के लिए रावण मारीच को हिरन का रूप लेने के लिए कहता है, तब मारीच घबरा जाता है। वह रावण के राम के बल, साहस, कौशल और बुद्धिमत्ता का अनुमान देने की कोशिश करता है। वह रावण को राम से अपने युद्ध के बारे में भी बताता है। मारीच यहाँ तक कहता है की रावण की एक भूल का मूल्य पूरी लंका को चुकाना पढ़ेगा। लेकिन उसे राक्षस वृत्ति छोड़ने की सुबुद्ध…
…
continue reading
रावण अब मान गया था कि राम कोई साधारण मनुष्य नहीं थे और उन्हें रोकना राक्षसों की सुरक्षा के लिए आवश्यक हो गया था। वह अपने सुवर्ण रथ में बैठकर तुरंत मारीच से मिलने निकला। रास्ते में उसने दक्षिण भारत में क्या-क्या देखा? वट वृक्ष, सौभद्र का क्या महत्त्व था? जब रावण मारीच के पास पहुँचा तो उसने राम को अधर्मी क्यों बताया? और सीता का अपहरण करने के लिए वह म…
…
continue reading
अब खर की 14000 राक्षसों की सेना और भाई दूषण का विनाश हो गया था। लेकिन इससे पहले की खर मैदान में उतरता, त्रिसिरा ने राम पर आक्रमण करने की इच्छा जताई। पर त्रिसिरा के अनगिनत वर राम के तीन बाणों के सामने फीके पढ़ गए। दूषण और त्रिसिरा की मृत्यु के बाद, खर ने बड़ी ही निपुणता और कौशल से राम का सामना किया। पर राम की दृढ़ता की कोई सीमा नहीं थी। राम के हाथों ख…
…
continue reading
शूर्पणखा के कान और नाक कटने पर वह पंचवटी से भाग गयी और सीधा अपने भाई खर के पास पहुंची। उसने खर को अपनी और से युद्ध करने के लिए उकसाया। उसने अपने भाई के अभिमान को ललकारते हुए राम और लक्ष्मण का वध करने की चुनौती दी जो खर ने स्वीकारी। पहले उसने 14 भयानक राक्षसों को शूर्पणखा के साथ भेजा। पर राम ने उन्हें मार गिराया। फिर खर खुद 14000 दानवों के साथ राम स…
…
continue reading
चित्रकूट में राम लक्ष्मण सीता ने अपना जीवन व्यतीत करना शुरू किया। वह सुबह-सुबह गोदावरी नदी में नहा कर, अपनी पूजा पाठ करके, आश्रम में विश्राम करते थे। ऐसी ही एक सुबह वहां पर एक राक्षसी आए। राम की छवि देख कर वह उनके प्रति आकर्षित हो गयी। पर जब शूर्पणखा ने राम से अपनी भावना व्यक्त की तब राम ने उसे लक्षमण के पास क्यों भेजा? फिर लक्ष्मण ने अपने भाई के स…
…
continue reading
पंचवटी जाते समय राम, लक्ष्मण, सीता ने रास्ते में एक विशाल गृद्ध पक्षी को देखा। पहले उन्हें लगा कि यह कोई राक्षस है जो रूप बदलकर बैठा है। जब उन्होंने उस गृद्ध पक्षी से उनका परिचय माँगा तब उन्होंने राम को अपनी उत्पत्ति के बारे में और संसार के जीव जंतुओं के बारे में क्या बताया? जटायु राम, लक्ष्मण और सीता की मद्दत कैसे करना चाहते थे? उनकी मद्दत के कारण…
…
continue reading
दंडकारण्य में चलते-चलते राम, लक्ष्मण और सीता ने कितने ही पर्वत और नदियां पार करीं, उनसे सम्बंधित कहानियाँ सुनी। वह अलग-अलग रशियों के आश्रम में रहे। कहीं दस महीने कहीं एक साल तो कहीं तीन-चार महीने। फिर वो वापिस सुतीक्ष्ण ऋषि के आश्रम लौटे। वहाँ उन्होंने अगस्त्य मुनि के बारे मे पूछा जो उसी जंगल में रहते थे। ऋषि सुतीक्ष्ण ने उन्हें ऋषि अगस्त्य के बारे…
…
continue reading
ऋषि शरभंग के जाने के बाद, बाकी ऋषि राम के पास आए। यह ऋषि वेखन वलखिल्य जाती के थे और अलग अलग प्रकार से साधना करते थे। इनका राम से एक ही अनुरोध था कि वह उनकी राक्षसों से रक्षा करें। राम ने उन्हें आश्वासन दिया कि वह अपने धर्म का पालन करते हुए उनकी मद्दद अवश्य करेंगे। ऐसा कह कर वह शरभंग के बताए हुए रास्ते पर ऋषि सुतीक्ष्ण से मिलने निकले। पर यह सब सुनकर…
…
continue reading
विराध को मारकर, उसे मुक्ति दिलाने के बाद, राम समझ गए थे कि घने जंगलों में रहना खतरों से खाली नहीं होगा। इसलिए वह सीता और लक्ष्मण को लेकर तुरंत ऋषि शरभंग के आश्रम की और निकल गए। वह समझते थे कि अब उन्हें एक वनवासी ही इन जंगलों में जीवित रहना सीखा सकतें हैं। पर आश्रम पहुँचने पर उन्होंने देखा कि कोई दैवी, तेजस्वी, सुंदर, शायद खुद देव ही, ऋषि शरभंग के स…
…
continue reading
होता हैं ना? जब आप पर कोई हमला करे, तो आप सह लेते हैं। पर अगर वही हमला आपके अपनों पर हो रहा हो, तो आप उसे सहन नहीं कर पाते। उस समय आप अपनी निष्पक्षतावाद खो देतें हैं। ऐसा ही कुछ राम के साथ हुआ जब विराध नामक राक्षस ने सीता को हानी पहुँचाने की कोशिश करी। पर लक्ष्मण ने अपना आपा नहीं खोया और डट कर उस राक्षस का सामना किया। ऐसे में विराध ने क्या कहा जिसक…
…
continue reading
राम जब जंगल में थे तो उन्हें काफी राक्चासो का सामना करना पढ़ा परंतु एक राक्छस ने माँ सीता को ही उठा लिया और राम-लष्मन को धमकी देने लगा। उस धमकी पर राम के मन में क्या संदेह आया? जानिए रामायण आज के लिए के इस एपिसोड में कविता पौडवाल के साथ।Von HT Smartcast
…
continue reading
माता अनुसुइया के आशीर्वाद प्राप्त करने के बाद माता सीता ने बताया कि कैसा रहा उनका बचपन और आखिर कैसे उन्हें राम जैसा हमसफ़र मिला। सीता से स्वयंवर के बाद भी राम ने क्यों विवाह करने में विलम किया? जानिए रामायण आज के लिए के इस एपिसोड में कविता पौडवाल के साथ।Von HT Smartcast
…
continue reading
राम-सीता के जंगल में रहने वहाँ पर क्या उत्पात होने लगा? आखिर क्यों वहाँ से सभी ऋषि राम को छोड़ कर एक दूसरे आश्रम में चले गए? सीता को माँ अनुसूया से क्या साथ मिला? जानिए रामायण आज के लिए के इस एपिसोड में कविता पौडवाल के साथ।Von HT Smartcast
…
continue reading
भरत के बापस अयोध्या लौटने के बाद उन्हें कैसी दिखी अयोध्या और भारत ने क्यों महल से एक अलग जगह रह कर साशन किया? भारत ने क्यों राम की खड़ाऊ को निर्णायक बनाया? जानिए रामायण आज के लिए के इस एपिसोड में कविता पौडवाल के साथ।Von HT Smartcast
…
continue reading
भरत ने राम के प्रतिक को कैसे अयोध्या का शाषक बनाया और कैसे अपने भाई को मानाने के सरे प्रियासो के बाद भरत सभी अयोध्यावासियो के साथ बापस लौट गए? बापस जाते वक़्त उन्होंने किस जगह पर विश्राम करने को चुना? जानिए रामायण आज के लिए के इस एपिसोड में कविता पौडवाल के साथ।Von HT Smartcast
…
continue reading
राम को पिता का रिण चुकाने की जिद्द पर , ऋषि ने राम को क्या तर्क दिया? आखिर राम को वनवास ना करने के लिए बाकी किन तर्कों का इस्तेमाल किया गया और अंत में श्री राम ने कैसे अपना निर्णय बनाया? जानिए रामायण आज के लिए के इस एपिसोड में कविता पौडवाल के साथ।Von HT Smartcast
…
continue reading
राजा दशरथ के वचन को सर्वोत्तम मान कर राम ने कैसे भरत के सारे तर्कों को नाकारा और कैसे भरत को बापस अयोध्या जाकर राज-पाठ सँभालने के लिए मनाया? जानिये रामायण आज के लिए के इस एपिसोड में कविता पौडवाल के साथ।Von HT Smartcast
…
continue reading
राजा दशरथ के देहांत के बाद कैसे किया श्री राम ने विलाप और उनके कठिन समय में कौन उन्हें शांत करवाने के लिए आया? भारत के लाख मानाने के बाद भी राम ने भारत को कैसे अयोध्या का सिंघासन लेने के लिए मनाया? जानिये रामायण आज के लिए के इस एपिसोड में।Von HT Smartcast
…
continue reading
राज्य की पूछताछ करने के बाद, राम ने भरत से पुछा की वह राजकीय भेस छोड़कर वनवासियों के भेस में उनसे मिलने क्यों आए हैं। जवाब में भारत ने अपनी माँ कैकेई के किए पर शर्मिंदगी जताई। उन्होंने इस बात को भी स्वीकारा कि वह अयोध्या के सिंघासन पर नहीं बैठना चाहते और उन्हें शासन करने में कोई दिलचस्पी नहीं थी। साथ ही नियमों और आयु के अनुसार राम ही राजा बनने के यो…
…
continue reading
पिछले episode में हमने सुना कि चित्रकूट में राम भरत को अपनी प्रजा में विश्वास यानी trust और निष्ठा यानी loyalty कैसे बनाए रखते है, वह सीखा रहे थे। इस episode में सुनिए की कैसे राम ने भरत को लोगों के स्वाभाविकता, उनकी पेहचान करना सिखाया? उन्होंने राजकीय और समाजिक सुरक्षा का महत्व कैसे बताया? फिर राम ने संपत्ति निर्माण और अर्थव्यवस्था को आगे कैसे बढ़…
…
continue reading
आख़िर वह दिन आ ही गया जिसके लिए भरत ने जी-तोड़ मेहनत करी थी। भरत को राम मिल गए थे। इतने दिनों से वह इस विचार में विवश थे कि वह राम के अपराधी थे और उनकी वजह से राम को वनवास मिला था। इस लिए भरत राम को देखते ही उनके पैरों में गिर गए। पर राम ने अपने छोटे भाई को उठाकर गले से लगाया और एक छोटे बच्चे की तरह उन्हें गोद में बिठाया। वह भरत के लिए खुश थे क्योंकि…
…
continue reading
चित्रकूट में राम के आश्रय के पास पहुँचने पर भरत ने अपनी सेना को वहीँ तैनात रहने का आदेश दिया। साथ ही उन्होंने शत्रुघ्न से कह कर अपनी माँओं को बुलवाया और खुद ओर पैदल निकल गए। कुछ देर चलने पर उन्हें राम, सीता और लक्ष्मण की बहुत ही साधारण सी कुटिया दिखी। जब वह कुटिया के द्वार तक पहुँचे तो उन्होंने क्या देखा? राम भरत को कहाँ और किस हाल में मिले? और राम…
…
continue reading
ऋषि भारद्वाज के बताए हुए रास्ते से जब भरत, अपने परिवार, अयोध्या वासी और सेना के साथ, मंदाकिनी नदी तक पहुँचे तब उन्हें समझ में आ गया था कि अब चित्रकूट पर्वत दूर नहीं। उन्होंने अपनी सेना को राम, लक्ष्मण और सीता की कुटिया ढूंढ़ने के लिए आगे भेजा। वहीँ दूसरी तरफ़ राम और सीता चित्रकूट की सुंदरता का आनंद ले रहे थे कि अचानक उन्हें दूर से मनो धूल का बदल नज़र …
…
continue reading
ऋषि भारद्वाज ने तप करके दिव्य वास्तुकार यानी divine architect विश्वकर्मा, कुबेर यानी god of wealth, वरुण अर्थात god of wind और याम को बुलाया। ताकि वह सब अयोध्या वासियों के रेहेन-सेहेन, खाने-पीने का प्रबंध कर सकें। फिर उन्होंने संगीत और नृत्य में निपुण गंधर्वों और अप्सराओं को बुलाया। सभी देवी देवताओं की मद्दत से ऋषि भारद्वाज का रचाया ये अनुभव किसी च…
…
continue reading
जब भरत ने ऋषि भारद्वाज की परीक्षा पर की तब ऋषि भारद्वाज ने ऋषि वशिष्ठ, भरत और उनके साथ आइये सब लोगों का स्वागत करना चाहा। उन्होनें भरत से उनके साथ आए रघुकुल के सदस्य, अयोध्या वासी, सेना, इत्यादि के बारे में पुछा। जवाब में भरत ने कहा कि वह आश्रम की शांति को भांग नहीं करना चाहते थे इसलिए उन्होंने सभी को आश्रम से दूर ठहराया था। पर ऋषि भारद्वाज परम्परा…
…
continue reading